मुझे हमेशा लगता है की जिंदगी रंगो से भरी हुई है … और हम है की हर बार उसे सिर्फ़ काली रात के साथ जोड़ देते है. ऐसा ही कुछ सोचकर मैने पिछले दिनो कुछ रंगो को कॅनवॅस पर उतारा. जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा तो नही बना पाई. पर कुछ आँखो को अच्छा लगे ऐसा तो बना पाई. नाम दिया है उसे…कलर्स ऑफ लाइफ…
हमेशा मुझे लगा की सबसे मासूम … सबसे सच्चा और सबसे प्योर् बचपन होता है …जो बस अपनी थोड़ी सी यादे छोड़ जाता है … पर उसी की बिना पर हमारा आगे का जीवन सजता-सावरता या बिगड़ता है …. जिंदगी में प्यूरिटी बस उसी वक्त रहती है … जो की थोड़े कम वक्त के लिए ही होती है…..और आजकल के बच्चो पर बहोत तरस आता है …. उनके पास तो शायद बचपन है ही नही……मेरे लिए बचपन है सफेद रंग सा…कोमल और शुध्ध .
बचपन के साथ आती है खुशिया….थोड़े से बड़े हुए नही की लगता है की सूरज के सारी किराने हमारे लिए ही आई है … रोशनी देने के लिए…हर जगह सब कुछ बिल्कुल चमकता हुआ नज़र आता है …. जो 6-8 साल की उम्र के बच्चे की आँखों में विस्मय के रूप में हमे नज़र आता है …..जहा देखो वहाँ धानी सा रंग खिलता नज़र आता है … थोड़ा सा शरारती …और बहोत ज़्यादा खुश….. मुझे पीले रंग ने हमेशा आँखो में सूरज भर के दिया है कोई …..
फिर बचपन अपनी दहलीज छोड़ के जाता है….जाने क्यू हर किसी को लाल रंग अचानक भाने लगता है …. जिंदगी का एक पूरा हिस्सा लोग अंजाने में भी उसकी तलाश में लगा देते है….मिल जाए तो हर चीज़ खूबसूरत लगती है और ना मिले तो …… किसी भी हालात में ये आप पर और आपकी पूरी जिंदगी पर एक असर छोड़े बिना नही जाता…..वैसे ये अलग बात है की किस पर कैसी असर छोड़ेगा ये कोई नही जानता..
फिर भी , ऐसा लगता है कुछ वक्त के लिए के जैसे हर कोई फुलो का गुल दस्ता लेके सामने खड़ा है … जिड़नगी जीने लायक लगने लगती है …मन सॉफ होता है … काँच की तरहा निर्मल… बिल्कुल वही दिखाता है जो की खुद होता है …कुछ छिपाता नही … मखमली सा कोई आहेसस आपकी रूह में उतार जाता है ….और फिर वो हर बार जब ज़रूरत हो, आपको छूकर जाता है ….. कुछ फूल.. कुछ पत्ते अपने अहेसास आपमें छोड़कर आपको भी उन जैसा बनके चला जाते है ……
जिंदगी में फिर शुरू होती है अपने आप को साबित करने की….या फिर आयेज बढ़ने की जद्दोजहत….हम पानी से उठके आसमान तक जाना चाहते है…..जब आसमान मिलता है तो पता चलता है की गला तो प्यास के मारे सुख रहा है …. अब पानी चाहिए…..कई बार मुझे आसमान और समंदर में कोई फ़र्क नज़र नही आता……मेरे लिए वो कई बार एक दूसरे के पूरक ही रहे है…..लॅंड’स एंड करके कुछ जगहे भी देखी है … जहा सब एक सा नज़र आता है .. कुछ ऐसा ही रिश्ता आसमान का पानी के साथ होगा ? दोनो मुझे भूरे रंगो में मुककमिल नज़र आते है …. काली रात वैसे भी किसे भाती है हमेशा?
कई बार सब कुछ मिलने के बाद भी ज़िदगी मैं कुछ अखरता रहेता है…..जो शायद कही पीछे छूट गया … या जिसे पाने की कभी कोशिश ही नही कि..य फिर …. जिसे कुछ पाने के ख्वाहिश में हमने कही छोड़ दिया…..अपनाया नही …. हमेशा मन वहाँ उखड़ा उखड़ा लगता है …. जब भी याद आता है वो दिल जैसे खुरदुरा हो जाता है ….. उसी भूरे रंग को मैने कई बार ऐसा भी महसूस किया है …
और कई बार ये भी तो होता है …. अपने आपको किसी मंज़िल पर पहुचाने की लड़ाई करते हुए कभी ह्यूम अपना बचपन याद आता है …. यादो को कोई तितली आती है और चली जाती है …. दो पल में कुछ अपने में ज़िदा कर जाती है…..वही लम्हे जो बचपन की कोई शरात के साथ जुड़े होंगे ?
इन सब के बाद आता है एक ठहराव…. जिसे देखते ही शांति महसूस होती है …. भाग के उसकी गोद में चले जाने को मन करता है …. मैं निजी तौर पर ईश्वर से ज़्यादा उसकी बनाई प्राकूरती से ज़्यादा जुड़ी हू … .तो जब भी जंगल , पेड़ या हरियाली देखती हू, कोई सुकून मिलता है … सारी मुश्किलो के बावजूद उनके पास जाके मैं खुश रहे पाती हू …. मुझे लगता है एक उम्र के बाद शायद जिंदग़िमें ये ठहराव खुद ही आता होगा….जहा आँखे हर जगह हरा रंग भी ढूँढ ही लेगी … लहलाहाता हरा रंग…. शांति का रंग….
जिंदगी रंगो से भरी पड़ी है …. और हमे सिर्फ़ उन्हे अच्छे से सवारना है …. पर हमारे हाथ ….कुछ अजीब सी हरकत कर जाते है….कई बार रंग एक दूजे में भर जाते है … और कुछ लोगो को सिर्फ़ काला रंग ही फिर नज़र आता है …..अपने हाथो को …अपने नसीब को खुद ही सवारो…..रंग हमे ढूँढते आएँगे.
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7 comments:
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आपको शुभकामनाएं
दीपक भारतदीप
सही कहा आपने जिंदगी बच्चों की निर्मल और इनमें रंग अनेक। ये तस्वीर वो ही है जो आपने कैनवॉस पर बिखेरी है। साथ ही कृष्ण जन्मोतस्व पर बधाई आपको।
bahut achchha sanyojan hai.painting bhi sundar hai.
सचमुच जिंदगी
रंगों से भरी हुई है
सच कहा आपने जिंदगी तो रंगों से भरी ही हुई है. फर्क इतना है की किसी की ख़ुशी के रंगों से तो किसी की गमो से. बधाई की पात्र है आप जो इतना अच्छा लिखा. मैं भी कुछ ऐसी ही गुफ्तगू करता हूँ. आपका भी स्वागत है. www.gooftgu.blogspot.com
are vaah....kyaa baat hai....main aapkaa abhinandan karta hun.....!!
मेरे पास दरअसल कुछ कहने को है ही नहीं....शब्दों के बगीचे से निकालने को मन ही नहीं कर रहा....कुछ कहने को मन ही नहीं कर रहा....!
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